रविवार, 3 अक्तूबर 2010

शाश्वता


चलता ही जाता हूँ मै निरंतर

मंजिल है कहाँ ? बता खुदा

जिस शांति , सत्य , और ज्ञान की खोज में

चलता ही रहा , चलता ही रहा

वह शांति , सत्य , वह ज्ञान अभी नहीं मिला

ए खुदा , सुन यह दुआ

मै रहूँ न रहूँ पर यह सफ़र जारी रहे ।

Dr A P J Abdul Kalam