सरकार विकास की योजनाएं बनाने के साथ साथ कल्याणकारी योजनाएं बनाती है ताकि उसका लाभ सभी वर्ग के लोगों को मिल सके विशेषकर सर्वाधिक गरीब और वंचित समूह को ध्यान में रखकर l किन्तु कोई भी सरकार जो पांच वर्ष के लिए चुनी जाती है उसका उद्देश्य सिर्फ तीव्र विकास की गति को ध्यान में रखकर नहीं किया जाना चाहिए ना ही पांच वर्षों में उसके द्वारा कितने कार्य किए गए इसकी गणना कराने पर बल्कि विकास की अन्य परिभाषाओं को भी साथ लेकर चलना चाहिए जैसे कि सतत विकास यानी sustainable development l चमचमाती सड़कें तो बनें पर उन सड़कों को बनाने में कितने पेड़ कटे इसका भी पूरा ध्यान रखा जाए क्या वास्तव में इन पेड़ों की भरपाई का पूरा प्रयास हो पा रहा है l यही बात रोजगार के क्षेत्र के लिए है जितने रोजगारों का सृजन किया जा रहा या जो पहले से चली आ रही नौकरियां हैं क्या वहाँ अन्य आवश्यकताओं ट्रांसफ़र, प्रमोशन का अनुपालन हो पा रहा है l बिडम्बना है कि यहां कार्यरत संगठनों को सिर्फ बुढ़ापे के पेंशन की चिंता है वर्तमान जीवन ठीक ढंग से सुचारू व संचालित हो इसकी नहींl सतत व समग्र विकास का मजबूत ढांचा तैयार करने के साथ-साथ शांति पूर्ण समझौतों में भी सांसदों की भूमिका होनी चाहिए ताकि नागरिक सुनिश्चित हो सकें उनका बहुमूल्य वोट किसी वोट बैंक के खाते में नहीं बल्कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र प्रणाली में गया है l