बुधवार, 23 मार्च 2022

आजादी का अमृत महोत्सव शहीद दिवस की संध्या पर हमारे पूज्य दादा जी, स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय श्री चुन्नी लाल कटियार जी की स्मृति में आजादी के उनके संघर्षमय काल का एक छोटा सा वृतांत मेरी बड़ी बहन सरिता कटियार जी द्वारा लिखित......

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इस  वर्ष हम सब आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं इसका मुख्य उद्देश्य अपने वतन को आजादी दिलाने वालों को ससम्मान  याद करना और अपनी नई पीढ़ी को महान लोंगों की वीरता की जानकारी देना कि हमारे बुज़ुर्गों ने कितनें संघर्षों से हमें आजादी दिलाई उनके संघर्ष की वजह से ही हम खुली हवा में साँस ले रहे हैं। आज हमें बोलने ,लिखने ,घूमने की जो आजादी मिली हैं वह सब हमारे पूज्यनीय बुजुर्गों की तपस्या का प्रतिफल हैं। ऐसा ही संघर्ष हमारे परिवार का रहा मेरे दादाजी के बड़े भाई अध्यापक श्री चुन्नी लालजी कटियार, ड़ा0 संपूर्णानंद जी व पं0 गोविंद वल्लभ पंत जी के घनिष्ठ साथी रहे जिन्होंने गांधी जी के अहिंसा आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई l इसी दौरान एक छोटा सा प्रसंग हैl  लगभग 6 महीनें से हमारे घर में ये लोग अन्य साथियों के साथ  रह कर अपनी योजनाओं को गुप्त रूप से अंजाम दे  रहे थे  आजादी को लेकर वार्ता होती थी गुप्त रूप से पर्चे लिखे और बंटवाए जाते थे। ऐसा ही एक दिन था मेरे परिवार कन्नौज के गाँव जनेरी का सन 1933 में  जब डा0 संपूर्णानंद जी , पंडित गोविंद वल्लभ पंत जी , महावीर गौतम जी  जैसे और कई  बड़े लोग महीनों  से घर में छुप कर कार्य कर रहे थे

इनमें से कई लोंगों के नाम वारंट जारी था। किसी मुखबिर की सूचना से अंग्रेजी सेना के लोग आ गये और घर में घुसने लगे किंतु हमारे घर की साहसी महिलाओं ने उन्हें दरवाजे पर ही रोक कर रखा और अन्य महिलाओं  ने मूसर और वेल्चा से ही खिड़की तोड़कर सभी को बाहर निकाल दिया। अंग्रेज पैर पटकते हुये निकल गये ऐसी अनगिनत कहानियाँ हमारे अन्य घरों में भी होंगी हम सब कई बडे़ नामों को तो जानतें हैं किंतु आजादी की लड़ाई में आहुति देने वाले तमाम नाम आज भी इतिहास के गर्त में छुपे हैं l आइये हम सब उन विभूतियों को भी याद करें जिन्हें आजादी के बाद भुला दिया गया आजादी के अमृत महोत्सव में सभी महापुरुषों  को याद करने का व  उन्हें सम्मान देने का दिवस है।

        आज हमारे पास मेरे दादा जी का कोई चित्र तो नहीं हैं किंतु उन्होंने जो देश के लिये किया वह सब हमारे परिवार के  लिये गर्व का विषय  हैं। किंतु अफसोस कि वह आजादी मिलने से पहले सन 1935 में ही अंग्रेजों की यातनाओं से दुनियाँ छोड़ कर चले गये बार बार जेल जानें से उन्हें टीवी हो गयी थी और अन्तिम समय में ही  उन्हें जेल से रिहा किया गया और इसके साथ ही हमारे घर की प्राचीन परम्परा नाम के साथ लाल लगाने की प्रथा भी मेरे दादाजी श्री सुँदर लाल जी कटियार के साथ खत्म हो गयी। 

    आजादी के बाद उनके मित्र उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित गोविंद वल्लभ पंत व शिक्षा मंत्री डा0 संपूर्णानंद बनेंl डॉ सम्पूर्णनंद बाद में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री भी हुए और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे l बनारस में सम्पूर्णानंद संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना में इनका योगदान था l डॉ गोविंद वल्लभ पंत ने भी कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की l मेरे दादाजी की असमय मृत्यु ने उन्हें  अनेक उपाधियों से बंचित कर दिया । किंतु उनका योगदान देश के लिए महत्वपर्ण् रहा यह  हमारे परिवार के लिए गर्व व सम्मान का विषय है और हमेशा रहेगा आज हम सब शहीद दिवस पर  उन्हें  सादर नमन करते हैं।और अपनी आगे की पीढ़ी को भी अहसास दिलानें की कोशिश करते हैं कि आजादी की कीमत को पहचानें इसका सम्मान करें और देशभक्त बनें जय हिंद !

    वंदेमातरम !

सरिता कटियार