शनिवार, 6 अप्रैल 2019

विरले

विरले ही होते हैं
जो यान बनाते हैं
बाकी तो तमाम
नहीं बना सकते
कागज की भी एक नाव
अभी से
बूढ़े हो गए हैं
उनके ख्यालात
टूटते दाँत और पकते बाल
की गणना में
घंटों वक्त बिताते हैं

विरले ही होते हैं
जो नाविक बन
समंदर की कश्त में
गश्त लगाते हैं
वाकी तो तमाम
तालाबों और नदियों
को पाटकर
दो मंजिला या तीन तल्ले का
घर बनबाते हैं
और दिखती नहीं गौरेया
बालकनी में बैठ कर
चिंता जताते हैं

विरले ही होते हैं
जो स्रजन में लगे
लोगों का हाथ बंटाते हैं
वाकी तो तमाम
योजनाओं को
कागज में समेट
पैसा डकार जाते हैं l
                  Pratibha Katiyar

सोमवार, 1 अप्रैल 2019

अभाव में पल रहे मेधावी बच्चों के लिए

प्यारे बच्चों,
देश की समृद्धि और खुशहाली
की तमाम संकल्पऩाओं के उपरान्त,
अवास्तविक सी लगती है
तुम्हारे संघर्षमय जीवन की कठिनाई l
किंतु सबसे अधिक वास्तविक है,
तुम्हारी निर्दोष व निश्छल मुस्कान l
जब तुम्हारे अथक प्रयास,
प्रत्येक बाधाओं से जूझते हुए
तुम्हें मंजिल तक ले जायेंगे,
तब फिर से तराशे जायेंगे
संघर्षमय जीवन के नए आयाम l
और तुम स्वयं,
जीवन का मापदंड हो जाओगे l
                          प्रतिभा कटियार