शुक्रवार, 10 मई 2024

त्रिनेत्र


हे त्रिनेत्र 

यूं तो तुम अनंत हो असीम हो 

अक्षय ऊर्जा का भंडार साक्षात ब्रह्माण्ड स्वरूप हो

किंतु मैं जान चुकी हूँ 

तुम्हारे आधे खुले और बंद हुए तीसरे नेत्र का रहस्य

क्योंकि तुमने देखा होगा

ब्रह्मा जी द्वारा रचित

उनके मानस पुत्रों को 

तुमसे ही सिद्धियां प्राप्त कर

तुम्हें भोला भंडारी समझ कर

तुमसे ही छल करती हैं

क्योंकि तुम जानते हो 

अपनी पूर्ण आंख खोलकर देख भर लोगे

तो नहीं टिके पाएगा एक क्षण भी यह संसार 

और भस्म हो जाएगा ब्रह्म जी द्वारा रचित

और विष्णु जी द्वारा पोषित 

नियति और नियति के खेलों का भंडार

क्या ज्ञात है शिव जी के तीसरी आंख का अर्थ 

तीसरी आंख नहीं है विध्वंश की आंख

इसका अर्थ है विवेक की आंख 

दूरदर्शिता और अंतर्ज्ञान से उपजी

जागृति और चेतना की आंख 

इसलिए तुम्हारे पास भी हो यदि

इन दो आँखों के अतिरिक्त कोई तीसरी आँख

तो तुम भी अपनी तीसरी आंख 

आधी बंद और आधी खुली ही रखना 

ताकि समझ सको

अपने पीछे चले गए कुचक्र या षडयंत्र को

जान सको पीछे का सच 

किंतु रखना याद

तुम शिव और शक्ति से परे 

एक साधारण मनुष्य मात्र हो

तुम्हारे तांडव से ना हो सकेगा 

प्रकृति में लय या प्रलय का विलय 

संभव है कि तुममें हो शिवत्व का जागरण

यदि नष्ट कर सके कुचक्र और छल का ये आवरण 

तो ही अमिट रह पाओगे

अन्यथा शिव से सीधा 

शव में रूपांतरित कर दिए जाओगे 

इसलिए जब भी देखना 

लोगों को कुचक्र या षडयंत्र रचते हुए 

करना शिव का स्मरण

बंद करना अपनी दोनों आँख

ताकि तुम्हारी शांति भंग ना हो l

                      प्रतिभा कटियार 

शनिवार, 12 अगस्त 2023

मेरी माटी, मेरा देश

मेरी माटी मेरा देश 

विविध हमारी बोली भाषा, विविध हमारी माटी

इस माटी में खिलते अगणित विविध पुष्प की वाटी 

हिमालय से आती नदियां, 

जलोढ़ या दोमट मिट्टी अपने साथ में लाती 

उत्तर के मैदाओं में विभिन्न फसलें बोयी जाती

गेंहू, मक्का, गन्ना, चावल,दलहन, तिलहन इसी उपज से आती

खाद्यान्न के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाती l

ज्वालामुखी के लावा से चट्टानें होती निर्मित

चट्टान और जीवाश्म से होती काली मिट्टी संचित

देश के पश्चिम और दक्षिण भागों को उपजाऊ बनाती

गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश संग

तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक को समृद्ध बनाती 

कपास के क्षेत्र में भारत को विश्व में प्रथम स्थान दिलाती

कपड़ा और वस्त्र उद्योग में अपना परचम लहराती

जिस कपास के ज़रिए गांधी ने छेड़ा था जन आंदोलन

घर घर में पहुंचाया चरखा, सूत कातते परिजन l

ग्रेनाइट की चट्टानों से लाल मिट्टी है बनती

तमिलनाडु, झारखंड, ओडिसा, छत्तीसगढ़ में पायी जाती

खनिज संसाधन में भारत को अहम स्थान दिलाती

देश की तरक्की और रोजगार में अपना हाथ बंटाती l

उमड़ घुमड़कर बादल आते और बरसते अविरल

समुद्री लहरों से टकराता जहां तटीय धरातल

पीली मिट्टी से भरपूर वो राज्य है केरल

नारियल, रबड़, चाय, इलायची संग जहां मसालों का होता उत्पादन

इन व्यापारिक फसलों के कारण देश में आए अनगिनत यूरोपियन l

पहाड़ी और पठारी भागों में होती जहां कठोरता

लैटेराइट मिट्टी की भी होती यहां प्रचुरता

कभी शुष्क और कभी तर, होता यहां का मौसम

इसी कठोरता के कारण मृदा में, होता धातु का समागम

लोहा एल्यूमिनियम और मैंगनीज संग कई धातुएं पाई जाती

विनिर्माण के क्षेत्र में भारत को सम्पन्न बनाती l

जल जंगल जमीन और पत्थर की पारिस्थितकी 

जिसमें कार्बनिक पदार्थों का होता जमाव 

कंकर पत्थर मिल जाते पर्वतीय या वन मिट्टी में तमाम

इस पर्वतीय मिट्टी की भी है एक विशेषता

कला और विज्ञान के जरिए कृषि में बढ़ती रोचकता

बागवानी कृषि और अनुसंधान में मिलती यहां नवीनता

विविध संस्कृति में बसती अनूठी कृषि की गुणवत्ता l

शुष्क व मरुस्थलीय मिट्टी में होती जहां पर कम वर्षा

पानी के लिए यहां पर करना पड़ता बहुत खर्चा

सुनी तो होगी वहां आपने श्री अन्न की चर्चा

जिस अन्न को खाकर पुरखों को आरोग्य का वरदान मिला

आज उसी मोटे अनाज को श्री अन्न का सम्मान मिला

ज्वार, बाजरा, रागी, कुट्टू कई फसल हैं क्रमशः

पोषक तत्वों से भरपूर जिससे मिलती है ऊर्जा

सुखी सरल और मंगलमय होता सबका जीवन

रोग मुक्त होता समाज, खिलता जिसमें तन मन

उत्पादन सर्वाधिक होता विश्व में दर्ज है नाम प्रथम

निर्यातक है देश हमारा, उपज हमारी उत्तम l

                                              प्रतिभा कटियार 





शनिवार, 6 अगस्त 2022

हर घर तिरंगा

 मेरी यह स्वरचित कविता आजादी का अमृत महोत्सव - हर घर तिरंगा अभियान को समर्पित 🇮🇳🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳



बुधवार, 23 मार्च 2022

आजादी का अमृत महोत्सव शहीद दिवस की संध्या पर हमारे पूज्य दादा जी, स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय श्री चुन्नी लाल कटियार जी की स्मृति में आजादी के उनके संघर्षमय काल का एक छोटा सा वृतांत मेरी बड़ी बहन सरिता कटियार जी द्वारा लिखित......

🇮🇳🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳 

इस  वर्ष हम सब आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं इसका मुख्य उद्देश्य अपने वतन को आजादी दिलाने वालों को ससम्मान  याद करना और अपनी नई पीढ़ी को महान लोंगों की वीरता की जानकारी देना कि हमारे बुज़ुर्गों ने कितनें संघर्षों से हमें आजादी दिलाई उनके संघर्ष की वजह से ही हम खुली हवा में साँस ले रहे हैं। आज हमें बोलने ,लिखने ,घूमने की जो आजादी मिली हैं वह सब हमारे पूज्यनीय बुजुर्गों की तपस्या का प्रतिफल हैं। ऐसा ही संघर्ष हमारे परिवार का रहा मेरे दादाजी के बड़े भाई अध्यापक श्री चुन्नी लालजी कटियार, ड़ा0 संपूर्णानंद जी व पं0 गोविंद वल्लभ पंत जी के घनिष्ठ साथी रहे जिन्होंने गांधी जी के अहिंसा आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई l इसी दौरान एक छोटा सा प्रसंग हैl  लगभग 6 महीनें से हमारे घर में ये लोग अन्य साथियों के साथ  रह कर अपनी योजनाओं को गुप्त रूप से अंजाम दे  रहे थे  आजादी को लेकर वार्ता होती थी गुप्त रूप से पर्चे लिखे और बंटवाए जाते थे। ऐसा ही एक दिन था मेरे परिवार कन्नौज के गाँव जनेरी का सन 1933 में  जब डा0 संपूर्णानंद जी , पंडित गोविंद वल्लभ पंत जी , महावीर गौतम जी  जैसे और कई  बड़े लोग महीनों  से घर में छुप कर कार्य कर रहे थे

इनमें से कई लोंगों के नाम वारंट जारी था। किसी मुखबिर की सूचना से अंग्रेजी सेना के लोग आ गये और घर में घुसने लगे किंतु हमारे घर की साहसी महिलाओं ने उन्हें दरवाजे पर ही रोक कर रखा और अन्य महिलाओं  ने मूसर और वेल्चा से ही खिड़की तोड़कर सभी को बाहर निकाल दिया। अंग्रेज पैर पटकते हुये निकल गये ऐसी अनगिनत कहानियाँ हमारे अन्य घरों में भी होंगी हम सब कई बडे़ नामों को तो जानतें हैं किंतु आजादी की लड़ाई में आहुति देने वाले तमाम नाम आज भी इतिहास के गर्त में छुपे हैं l आइये हम सब उन विभूतियों को भी याद करें जिन्हें आजादी के बाद भुला दिया गया आजादी के अमृत महोत्सव में सभी महापुरुषों  को याद करने का व  उन्हें सम्मान देने का दिवस है।

        आज हमारे पास मेरे दादा जी का कोई चित्र तो नहीं हैं किंतु उन्होंने जो देश के लिये किया वह सब हमारे परिवार के  लिये गर्व का विषय  हैं। किंतु अफसोस कि वह आजादी मिलने से पहले सन 1935 में ही अंग्रेजों की यातनाओं से दुनियाँ छोड़ कर चले गये बार बार जेल जानें से उन्हें टीवी हो गयी थी और अन्तिम समय में ही  उन्हें जेल से रिहा किया गया और इसके साथ ही हमारे घर की प्राचीन परम्परा नाम के साथ लाल लगाने की प्रथा भी मेरे दादाजी श्री सुँदर लाल जी कटियार के साथ खत्म हो गयी। 

    आजादी के बाद उनके मित्र उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित गोविंद वल्लभ पंत व शिक्षा मंत्री डा0 संपूर्णानंद बनेंl डॉ सम्पूर्णनंद बाद में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री भी हुए और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे l बनारस में सम्पूर्णानंद संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना में इनका योगदान था l डॉ गोविंद वल्लभ पंत ने भी कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की l मेरे दादाजी की असमय मृत्यु ने उन्हें  अनेक उपाधियों से बंचित कर दिया । किंतु उनका योगदान देश के लिए महत्वपर्ण् रहा यह  हमारे परिवार के लिए गर्व व सम्मान का विषय है और हमेशा रहेगा आज हम सब शहीद दिवस पर  उन्हें  सादर नमन करते हैं।और अपनी आगे की पीढ़ी को भी अहसास दिलानें की कोशिश करते हैं कि आजादी की कीमत को पहचानें इसका सम्मान करें और देशभक्त बनें जय हिंद !

    वंदेमातरम !

सरिता कटियार

शनिवार, 25 दिसंबर 2021

तीव्र विकास ही नहीं बल्कि सतत व समग्र विकास भी जरूरी l

सरकार विकास की योजनाएं बनाने के साथ साथ कल्याणकारी योजनाएं बनाती है ताकि उसका लाभ सभी वर्ग के लोगों को मिल सके विशेषकर सर्वाधिक गरीब और वंचित समूह को ध्यान में रखकर l किन्तु कोई भी सरकार जो पांच वर्ष के लिए चुनी जाती है उसका उद्देश्य सिर्फ तीव्र विकास की गति को ध्यान में रखकर नहीं किया जाना चाहिए ना ही पांच वर्षों में उसके द्वारा कितने कार्य किए गए इसकी गणना कराने पर बल्कि विकास की अन्य परिभाषाओं को भी साथ लेकर चलना चाहिए जैसे कि सतत विकास यानी sustainable development l चमचमाती सड़कें तो बनें पर उन सड़कों को बनाने में कितने पेड़ कटे इसका भी पूरा ध्यान रखा जाए क्या वास्तव में इन पेड़ों की भरपाई का पूरा प्रयास हो पा रहा है l यही बात रोजगार के क्षेत्र के लिए है जितने रोजगारों का सृजन किया जा रहा या जो पहले से चली आ रही नौकरियां हैं क्या वहाँ अन्य आवश्यकताओं ट्रांसफ़र, प्रमोशन का अनुपालन हो पा रहा है l बिडम्बना है कि यहां कार्यरत संगठनों को सिर्फ बुढ़ापे के पेंशन की चिंता है वर्तमान जीवन ठीक ढंग से सुचारू व संचालित हो इसकी नहींl सतत व समग्र विकास का मजबूत ढांचा तैयार करने के साथ-साथ शांति पूर्ण समझौतों में भी सांसदों की भूमिका होनी चाहिए ताकि नागरिक सुनिश्चित हो सकें उनका बहुमूल्य वोट किसी वोट बैंक के खाते में नहीं बल्कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र प्रणाली में गया है l

रविवार, 21 मार्च 2021

देता ना दशमलव भारत तो...

जब जीरो दिया मेरे भारत ने दुनिया को तब गिनती आयी, किन्तु पूरे सौ तक गिनती ना आयी सिर्फ बीस यानी twenty तक आयी उसके बाद दुनिया ने उन्हीं अंकों के place value यानी स्थानीय मान से आगे का काम चला लिया l सरकारी प्राथमिक विद्यालय की कक्षाओं में जब बच्चों को गिनती सीखते समय, दहाई के अंकों को सीखने में उनके नाम के साथ अलग से स्थानीय मान सहित बोलकर रटते हुए देखा जैसे दो एक इक्कीस दो दहाई एक इकाई, इसी तरह पूरे सौ अंकों तक जाते जाते उन्हें दो साल गणित के न्यूनतम स्तर को हासिल में करने लग जाते हैं और वो इसे तब तक रटते हैं जब तक कि एक उच्च स्वर के आलाप तक नहीं पहुंच जाते l  place value यानी स्थानीय मान सहित गिनती सीखना उन नन्हें अबोध बच्चों पर एक अतिरिक्त भार है जो हिन्दी में गणित सीखते हैं क्योंकि वो 100 अंक तक के अंकों की पहचान भी हिंदी में सीखते हैं और प्लेस वैल्यू को भी जबकि अंग्रेजी माध्यम में पड़ने वाले हिंदी में अंकों को पहचानते भी नहीं l उन्हें तो सिर्फ ट्वेंटी तक याद रखना पड़ता है l इसके आगे तो स्वतः काम चल जाता है आगे आगे स्थानीय मान पीछे पीछे अंकl किन्तु हिन्दी में एक लंबी यात्रा है इक्कीस बाइस तेईस...l यद्यपि अंकों के स्थानीय मान का आविष्कार भी भारत में ही हुआ था। भारतीय अंक प्रणाली संसार की सबसे प्राचीन अंक प्रणाली हैl  इसका प्रसार भारत से अरब और अरब से होते हुए यूरोप तक गया l यूरोप में बारहवीं शताब्दी तक रोमन अंकों का प्रयोग किया जाता रहा l रोमन सिर्फ सात अंकों को जानते थे और इन्हें अक्षर द्वारा अभिव्यक्त करते थे l और संख्याओं की गणना करने में इन्हीं सात अक्षरों से काम चलाते थे जो कि एक जटिल सरंचना का रूप ले लेती थी l और गणना करने में त्रुटि होने की अधिक संभावना रहती थी l समय के साथ प्राचीन भारतीय अंक पद्धति को लिखने में हम अंतरराष्ट्रीय मानक स्वरूप का प्रयोग करने लगे किन्तु नेपाल में आज भी अंकों को देवनागरी लिपि में लिखने का राष्ट्रीय गौरव प्राप्त है l गणित की ये वैश्विक यात्रा बड़ी मनोरंजक है अगर इस यात्रा पर निकलना है तो चलो फिर शून्य से शुरू करते हैं l