हे त्रिनेत्र
यूं तो तुम अनंत हो असीम हो
अक्षय ऊर्जा का भंडार साक्षात ब्रह्माण्ड स्वरूप हो
किंतु मैं जान चुकी हूँ
तुम्हारे आधे खुले और बंद हुए तीसरे नेत्र का रहस्य
क्योंकि तुमने देखा होगा
ब्रह्मा जी द्वारा रचित
उनके मानस पुत्रों को
तुमसे ही सिद्धियां प्राप्त कर
तुम्हें भोला भंडारी समझ कर
तुमसे ही छल करती हैं
क्योंकि तुम जानते हो
अपनी पूर्ण आंख खोलकर देख भर लोगे
तो नहीं टिके पाएगा एक क्षण भी यह संसार
और भस्म हो जाएगा ब्रह्म जी द्वारा रचित
और विष्णु जी द्वारा पोषित
नियति और नियति के खेलों का भंडार
क्या ज्ञात है शिव जी के तीसरी आंख का अर्थ
तीसरी आंख नहीं है विध्वंश की आंख
इसका अर्थ है विवेक की आंख
दूरदर्शिता और अंतर्ज्ञान से उपजी
जागृति और चेतना की आंख
इसलिए तुम्हारे पास भी हो यदि
इन दो आँखों के अतिरिक्त कोई तीसरी आँख
तो तुम भी अपनी तीसरी आंख
आधी बंद और आधी खुली ही रखना
ताकि समझ सको
अपने पीछे चले गए कुचक्र या षडयंत्र को
जान सको पीछे का सच
किंतु रखना याद
तुम शिव और शक्ति से परे
एक साधारण मनुष्य मात्र हो
तुम्हारे तांडव से ना हो सकेगा
प्रकृति में लय या प्रलय का विलय
संभव है कि तुममें हो शिवत्व का जागरण
यदि नष्ट कर सके कुचक्र और छल का ये आवरण
तो ही अमिट रह पाओगे
अन्यथा शिव से सीधा
शव में रूपांतरित कर दिए जाओगे
इसलिए जब भी देखना
लोगों को कुचक्र या षडयंत्र रचते हुए
करना शिव का स्मरण
बंद करना अपनी दोनों आँख
ताकि तुम्हारी शांति भंग ना हो l
प्रतिभा कटियार
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