यह कैसा संसार
जिसमे दुःख ही दुःख है अपार
क्या कारण है इस दुःख का
कोई तो बताओ रहस्य इस जग का
क्या मृत्यु ही है अंत सबका
फिर क्यों जन्मा जीव जब यही हश्र है उसका
जीवन की यह जटिल पहेली
कोई तो सुलझाओ इसे मेरी बुद्धि है अकेली
मानवता का यह कैसा नाता
जो पल भर में सारे नाते तोड़ जाता
कौन है जगत का रचयिता
क्या नियम है तेरा इस सृजन का
कैसी तेरी करूणा
क्यों भर दी लोगों में तृष्णा
जो है इस दुःख का मूल
क्या जानकर भी हो गयी है तुझसे भूल
कैसी तेरी माया
क्यों झूटी है सबकी काया
मरणशील है सब जीव
नाशवान है यह शरीर
फिर भी जन्मने को प्राणी अधीर
जन्म और मरण
हम किसका करें वरण
जब दोनों है नाशवान
क्यों करे आवाहन इनका कोई विवेकवान .
प्रतिभा कटियार
death is the beginig of life. Think of life without death , you will certinly know the impotance of death that's why we pray the God Shankar.
जवाब देंहटाएं