मंगलवार, 12 जनवरी 2016

स्वामी विवेकानन्द के जन्मदिवस पर

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रे सन्यासी मन 

रे सन्यासी मन !
तू किसे खोजता कर रहा जतन 
जब द्धार तेरे सामने है 
तो क्यों भटक रहा है मन 
रे सन्यासी मन !
अब तो आवाहन भी होने लगा 
चल पड़ तू अपनी धुन में 
होकर मगन 
रे सन्यासी मन !
                         *******   प्रतिभा कटियार 

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