प्रथ्वी
आकाश है विशाल,
विराट , असीम ,अनन्त,
प्रथ्वी एक जीवन्त, जाग्रत ग्रह।
रहते इस पर भाँति -भाँति के
जीव-जन्तु और मनुष्य ।
वॄक्ष, वनस्पतियाँ, सागर, नदियाँ
झरने, पहाड़, झीलें और मैदान,
सब एक से बढ़कर एक ।
ना जाने किसकी परिकल्पना,
ब्रह्माण्ड में समाहित,
सॄष्टि की अनोखी साकार रचना ।
Pratibha katiyar
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