शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

naitikta khoti patrakarita

ऐसे में जबकि पूरा देश इस चुनाव प्रक्रिया और नतीजों में दिलचस्पी लेता दिखाई दे रहा है तो वहीँ एक वर्ग ऐसा भी है जो देश के भावी नागरिकों के भविष्य को लेकर चिंतित है और मीडिया के अत्यधिक दोहन मंथन से अपने बच्चों का ध्यान पढ़ाई लिखाई से विमुख कर दिए जाने से उन्हें ज्यादा देर टीवी देखने से नियंत्रित कर रहा है ! मुझे याद है एक बार राष्ट्रपति के रूप में मौजूद डॉ ए . पी. जे. अब्दुल कलाम से किसी ने प्रश्न पूछा कि हमारे माता पिता तथा अध्यापक हमें टी वी एवं सिनेमा देखने से मना करते हैं1 आपके विचार से क्या मीडिया हमारे लिए नुकसान दायक है? तो  उसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा यह सब व्यक्ति के अपने मिशन पर निर्भर है यदि आप अपनी पढ़ाई में उत्कृष्टता अर्जित करने में लगे हों तो मुझे नहीं लगता की आपके पास टीवी देखने का समय होगा ! एकाग्रचित छात्र को को शायद इस प्रकार के आकर्षण विचलित नहीं करते! किन्तु प्रश्न में मिडिया के प्रति नकारात्मक भाव उपस्थित होने से एक मीडिया कर्मी होने के नाते यह विषय चिंतन का  अवश्य दिखाई देता है  क्यों मीडिया अत्यधिक लोकप्रियता पाने के चक्कर में अपना सम्मान दिन पर दिन खोती जा रही क्या मीडिया अपने इस नैतिक गिरावट पर आत्मचिंतन करने को तैयार है कहीं ग्लैमर की चकाचौंध में उसके  विवेक के हथियार किसी छलावे के आगे  समर्पण की भेंट तो नहीं चढ़ गये!  

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