निःशब्द
हर जगह अतिक्रमण हो गया
मेरे प्रभु तुम्हारी आस में
कोई व्याकुल मन प्यासा ही चल बसा
अब मत करो तलाश
पाकर फिर खो देने का अहसास
ना ही करो अभिव्यक्त
उसकी निकटता और समीपता का
बस चुपचाप धारण करो मौन,
बंद झोले में रखो
कोई पूछे तो कह दो
नहीं है मेरे पास
जाओ किसी और द्वार
खुद को आराम दो
और टहलाओ उसे सात समंदर पार। . ……