रविवार, 26 अप्रैल 2015

Death is the begining of life


साक्षात्कार 
गोमुख ग्लेशियर का एक अनुभव 
नदी का मुहाना एक ग्लेशियर 
चुपके से आहट दी उसने फिर एक बार 
शायद तीसरी चौथी दफा 
यूँ लगाई पुकार 
कोई और ना सुन सका 
गरजती लहरें और भयंकर आबाज 
सुनहले बर्फीले पहाड़ 
स्वेत मलमल सी बिछी  बर्फ की कतार 
कांच सी जमी फिसलती 
कभी तैरती डूबती 
तो कभी स्थिर होने का आभास देती 
तभी अचानक टूटा चादर का एक टुकड़ा 
संभाल ना सका बोझा उस पर था जो आ पड़ा 
बर्फ की ठंडी सिहरन 
हाड़ मांस का बना एक इंसानी कफ़न 
सिर से लेकर पैर तक वो हड्डी की गलन 
याद है मुझे उस जगह 
समाधिस्थ हो जाने की दशा-दिशा 
उस पर भी भीग जाने की 
कठोर निर्मम सर्दी की वो गलन 
आया बस यही ख्याल 
इतनी निष्ठुर तो नहीं नियति 
अभी तो शुरू ही कहाँ हुई डगर 
जो चल पड़े कदम अंत को अगर 
नहीं यह तो उद्गम से मिलने की थी 
वर्षों पुरानी संधि की एक पल की अगन 
बस यूँ ही मिलवाना था दो पल 
कराना था मृत्यु का आलिंगन 
विधाता ने दिखाई झलक 
एक और दिया है नवजीवन 
                               pratibha katiyar

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