लिखना नहीं चाहती बताना भी नहीं चाहती - मेरे भारत का विशाल भूभाग और इसके निवासी केंद्रित होते जा रहे हैं अपने प्रान्त को अपने लोगों को समेटते जा रहे हैं परंपरा को सहेजना पोषण और सरंक्षण देना अच्छा है तुम्हारी पहचान तुम्हारी विशेषता सबको पता चले ये अच्छा है पर अपनी ही धुरी के ओर छोर परिभ्रमण तुम्हारी संकीर्ण मानसिकता का तुम्हारे ओछेपन का खोखली राष्ट्रीयता और नागरिकता का प्रामाणिक नमूना है क्या साफ़ साफ़ दिखाई नहीं देता लोगों को प्रान्त के नाम पर एकजुट होते हुए जाती के नाम पर कान में विष घोलते हुए भाषा के नाम पर झगड़ते हुए यहाँ तक की लिंग वर्ग क्लास गली मोहल्ला ke nam par simatte hue, he मानवता के poshak tum shoshak kyon hue ja rahe tum shoshit hue tumhara patan hua ye ham jante hain aaj tumhe avsar mila to tumne bhi kisi ko chun liya apni purani ranjis nikalne ke liye kisi bhole bhale sidhe sadhe mastisk ke jehan me apni purani ujad ki gayi nasl ki nayi fasal ugane ke liye, तुम्हारा ही प्रान्त अच्छा है tumhari boli bhasha dunia ki shresth bhasha hai kya batana chahte ho tum band karo sari vakvas aur dekho apni virasat ko charon or faili hai apni dharti ma ki virasat.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
No dout blog is an important platform for communication with the message but it is more important for the writer to create words with which u can communicate with the heart of the masses . And u have really done this.