आपदा
क्यों आती हैं आपदाएं
कैसे घटती हैं घटनाएँ
क्या ये मात्र अनहोनी हैं
या प्रतिध्वनि है प्रकृति की
क्यों की उसकी अनदेखी है
आपदाओं से मानव का क्या नाता
ये तो बस खेल है तेरा हे भाग्य विधाता
हमने तो बस रखी थी एक ईंट
विकास और निर्माण की
पर देखो गढ़ दी गयी ईंट पर ईंट
खोखली हो गयी
जो कभी मजबूत थी नींव
आज जब भार सहन ना हुआ
तो सारा संतुलन चक्र उलट पुलट गया
निर्माण और विकास का पहिया
किसी मलवे में दफ़न हो गया
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