शनिवार, 25 अप्रैल 2015

do din pahle dunia ne prathvi divas manaya aur aaj bhukamp ke jhatke kab tak andekhi karte rahenge ham sab prakrati ki

 आपदा 
क्यों आती हैं आपदाएं 
कैसे घटती हैं घटनाएँ 
क्या ये मात्र  अनहोनी हैं 
या प्रतिध्वनि है प्रकृति की 
क्यों की उसकी अनदेखी है 
आपदाओं से मानव का क्या नाता 
ये तो बस खेल है तेरा हे भाग्य विधाता 
हमने तो बस रखी थी एक ईंट 
विकास और निर्माण की 
पर देखो गढ़ दी गयी ईंट पर ईंट 
खोखली हो गयी 
जो कभी मजबूत थी नींव 
आज जब भार सहन ना हुआ 
तो सारा संतुलन चक्र उलट पुलट गया 
 निर्माण और विकास का पहिया 
किसी मलवे में दफ़न हो गया 

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