सोमवार, 20 अप्रैल 2015

आकाश 
दूर दूर तक फैली आकाशगंगा

उस पर दिखती बादलों की क्षटा

तूलिका से क्षिटका हो जैसे श्वेत रंग

आसमान में बिखरे तारे

चमकते, टिमटिमाते असंख्य सितारे

सूर्योदय की लालिमा

आँगन में पसरती सुनहली धूप की उष्णता

दोपहर तक हो जाती घनीभूत

सर्वत्र प्रकाश की सम्पूर्णता

उड़ते परिंदे कतारबद्द

ना जाने कहाँ झुण्ड के झुण्ड

आसमानी आँगन का विस्तार

उन्मुक्त स्वतंत्र लेते होड़

दुर दूर तक कोई ना ओर -छोर

अस्तांचल की ओर जाता दिवाकर

सुर्ख लाल होती वो रविकिरण

आकाश में होता प्रकाशीय व्यतिकरण

आधी दूरी नापती                                             

आसमानी गोद में उजली किरण

सघन काले बादल

आकाश मार्ग की ओर से आते

वर्षा ऋतु के संवाहक

भू पर गिरते झमाझम बरसते

ओला वृष्टि करते

जल सिंचन को आते

आसमानी क्षटा का नव स्वरूप दिखाते

वो इंद्रधनुषी क्षटा

सात रंगों के मेल से बनी

प्रकाश की असल कथा

आसमानी कैनवास पर उकेरती

प्रकाश और वारिश की अन्तर्दशा

बादलों की कड़कड़ाहट

आसमान में क्षितराते

घने काले बादलों के सघन कण

चमकते गरजते आवेशित विद्युतीय क्षण

पूर्णिमा और अमावस के बीच

आसमान में खेलती वो चंचल चन्द्रकला

सितारों के बीच चमकती चांदनी उजली निशा

असीम अपरिमित अनंत आकाश की विस्तृत दिशा.
-------   प्रतिभा कटियार 

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