शनिवार, 30 मई 2015



189 वर्षों की यात्रा कर ली हिंदी पत्रकारिता ने आज ही के दिन देश का पहला हिन्दी समाचार पत्र उदंत मार्तण्ड कोलकाता से प्रकाशित हुआ जिसे पंडित युगल किशोर शुक्ल ने प्रारम्भ किया पं 0 युगल किशोर शुक्ल कानपुर के रहने वाले थे, ३० मई १८२६ को इसका प्रकाशन हुआ  कुछ ही दिन पूर्व कानपुर बिठूर के संग्रहालय में इस अख़बार की प्रतिलिपि दिखाई दी वैसे इस जगह का नाम और इसकी प्रासंगिकता बताने की जरुरत नहीं स्वंत्रता का पहला बिगुल यहीं से बजा था इसलिए  देश के इतिहास में यह स्वर्णाक्षरों में अंकित है खैर इतने लम्बे समय में हिंदी व् हिंदी पत्रकारिता दोनों  ने  लम्बा सफर तय किया जहाँ भाषा ने साहित्यिक विन्यास से लेकर आम लोकप्रिय खड़ी व् सरल आज की जनप्रिय भाषा का आकार लिया तो वहीँ पत्रकारिता ने इसे जन्म दिया नए नए शब्द शिल्प की रचना कर उसे एक आकार दिया ना सिर्फ हिंदी को राष्ट्रीय व् अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई बल्कि  भारत को एक  सांस्कृतिक व् राजनितिक एकीकरण  के रूप में  गड़ने में अपना अहम योगदान दिया.   

बुधवार, 27 मई 2015

समंदर


समंदर 
                                                                                                                   वो पहला दिन,
जब की थी समंदर से बातें,
आती जाती लहरों से की थी मुलाकातें।
तट पर फैली थी,
 उसकी  ही विस्तृत काया,
दूर दूर तक दिखती थी,
उसके साम्राज्य की माया। 
जैसी तरंगें समंदर में थीं,
वैसी हिलोरें मन में भी थीं,
कुछ और चीज का नामोनिशान ना था ,
लगता था सृस्टि का यह अंतिम पड़ाव था।
इसके पार भी हो सकता है भूमि का एक टुकड़ा,
यह बस मानचित्र में देखा गया,
ज्ञान  का विश्वास था।
तट पर थे अनेकों सैलानी,
हिंदी मलयाली तमिल मराठी,
 ऐशियाई, अफ़्रीकी, अमेरिकी, यूरोपी,
उमंग बिखेरते सब उसके आँगन में,
लगता जैसे पलक पांवड़े बिछाये हो,
समंदर हम सबके स्वागत में।
आती जाती लहरें,
सबका स्वागत करतीं,
और इनसे पुलकित होकर,
हम सबकी बांछें खिलती।
दूर से आती लहरें उठती,
गिरतीं और पास तक आती,
स्पर्श करतीं हमें भिगोतीं,
और फिर वापस लौट जाती।
बस यूँ ही चलता रहता,
एक दूसरे को पकड़ने का यह खेल,
लगता प्रकृति भी हमारे साथ,
करना चाहती है हम सबसे मेल।
जीना चाहती है हमारे साथ,
करना चाहती है संवाद,
आओ कुछ पल गुजारो,
मैं दूंगी तुम्हें प्रफुल्लित उल्लास।
असीम गहराईयों का अहसास,
जो बुलंद करेगी हौसले,
आसमान को छूने का,
एक दुर्गम प्रयास,
विकसित होगा मन,
हृदय का भी होगा विस्तार,
समंदर ने किया कुछ ऐसा संचार।