राष्ट्रगौरव
जगह जगह से आते लोग,
मृगतृष्णा के बीज बो जाते।
कहीं पनपता अन्धविश्वास,
तो कहीं उन्मुक्त रूप से होता हास-परिहास,
शिष्टाचार सदा झलकता,
ऐसे भी हैं कई जिले प्रान्त और उनका समाज।
बसते नाटककार और कलाकार जहाँ,
ऐसे भी हैं कुछ कुनबे घराने,
जहाँ रचे और गड़े जाते हैं,
अपनी ही धुन के अफ़साने।
साहित्य अपनी जड़ें सींचता,
संगीत भूमि को गुंजायमान करता,
नृत्य मन को सराबोर करता,
इनमें भी है कुछ प्रांतों की पहचान।
पर्यटन मन को मोह लेता,
दूर दूर तक फैली प्राकृतिक सुंदरता,
हरे भरे जंगल नदियां झरने और पहाड़,
मधुर ताजगी से भर देता,
मन को मिलता एक नूतन अविराम।
समंदर भी करता जल तरंगों से स्वागत,
ऐसे कई तट हैं जहाँ,
सूरज मिलता धरा से क्षितिज को,
मिलाता असीम से पुलकित हो जाता मन,
जब एक सा लगता है धरती और गगन।
जहाँ सदा मिलती है तरावट,
दूर हो जाती सारी थकावट,
घंटा नाद शंख जब बजते,
मंदिर देवालय अपनी आभा से,
हमारे पथ को प्रकाशित करते।
अदभुत शांति और आनंद पाते,
जब ऐसे पावन क्षण हमको पास बुलाते।
गगनचुम्बी इमारतें नक्काशीदार भवन,
अपने समृद्ध वैभव को व्यक्त करते।
ऐतिहासिक स्थल देते विरासत की झांकी,
तब लगता जैसे कितनी समृद्ध है अपनी यह भूमि।
प्रतिभा कटियार
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